मंगलवार, 27 नवंबर 2007

‘एस एम एस’ तेरे बिन जीना नहीं...

एसएमएस यानी शॉर्ट मैसेज सर्विस युवाओं के बीच खासी पापुलर है और यही अब रोमांस का कारगर मंत्र भी बनता जा रहा है। चाहे देर-सवेर ही सही, ये माडर्न लव लेटर तो पहुंचेगा ही। ये छोटे-छोटे मैसेज बड़े प्रेमपत्र का काम करते हैं। रोमांस के इस अंदाज पर वेदिका त्रिपाठी की नजर।
फिल्म `हसीना मान जाएगी` का गीत `व्हाट इज मोबाइल नम्बर, करुं क्या डायल नम्बर...` युवाओं के लिये काफी फायदेमन्द साबित हुआ है, क्योंकि युवाओं के रोमांस की बात हो और इजहारे मुहब्बत न हो, यह तो हो नहीं सकता। पहले जहां इजहारे मुहब्बत के लिये डरते-डरते चिट्ठी लिखने जैसे काम किये जाते थे, वहीं अब किसी को प्रपोज करने के लिये ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं पड़ती। बस इतना पता चल जाए कि उसका मोबाइल नंबर क्या है। फिर क्या है, एक अच्छे से मैसेज से कर दिया हाले दिल बयां, अब भला गर्लफ्रेण्ड कैसे न इंप्रेस होगी। दरअसल सेलफोन की दिन-पर-दिन कम होती कीमतें और घटते काल रेट्स के कारण अब मोबाइल रखना मुश्किल नहीं है। लेकिन फोन काल्स के बजाए इसका एसएमएस युवाओं के बीच ज्यादा पापुवर है और यही रोमांस का कारगर माध्यम बन गया है।
लेटर पहुंचाने से छुटकारा
ज्यादातर युवाओं का मानना है कि एसएमएस ही आज का लवलेटर है। लव लेटर सुनने और पढने में तो अच्छा है, पर उसके साथ दिक्कतें बहुत थीं। एक तो छिपकर लिखना पड़ता था कि कहीं कोई देख न ले और दूसरे, लव लेटर जिसे भेजना है, उस तक कैसे पहुंचाया जाए, यह सबसे बड़ी प्राब्लम हुआ करती थी। लेकिन अब एसएमएस से ऐसी कोई प्राब्लम नहीं होती। हालांकि मैसेज ट्रेफिक जाम में फंस भी जाता है, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि मैसेज देर-सवेर जिसके लिये भेजा गया है उसे ही मिलेगा। फिर आज की फास्ट लाइफ में लंबे-लंबे लेटर लिखकर भेजने का वक्त किसके पास है, जबकि मोबाइल की स्क्रीन पर तो आफिस में काम करते-करते भी मैसेज टाइप करके अपने दिल की बात बता सकते हैं।
कल्पना का सहारा ले सकते हैं
जब आप एक मैसेज क्रिएट करते हैं तो उसमें कल्पना का भी सहारा लेते हैं। जैसे अगर आप अंग्रेजी में लिखना चाहते हैं `आय लव यू` तो आपको पूरा लिखने की जरूरत नहीं है बल्कि सिर्फ `आई एल यू` लिखने से भी काम चल जाएगा। वैसे भी कहते है न कि दिल की बातें बताने के लिये जज्बात लिखने चाहिए, जिसे कहने में शायद आपको झिझक हो। इसके साथ ही पिक्चर मैसेज में आप अपने मेहबूब की तस्वीर भी उकेर सकते हैं। अब तो पिक्चर मैसेज भी भेजे जा सकते हैं। इसलिये शब्दों ओर चित्रों से सजा मैसेज भेजकर किसी का भी दिल जीता जा सकता है। इन मैसेज के जरिये युवा रात भर चैटिंग करते हैं, इसमें किसी को कोई भी परेशानी महसूस नहीं होती। उन्हें बिना मिले ही लगता है कि वो एक-दूसरे से मिलकर बातें कर रहे हैं।
नेट रोमांस से सस्ता ऑप्शन
आजकल तो कई कम्पनियां सेम मोबाइल टू मोबाइल मैसेज फ्री दे रही हैं। अगर किसी में चार्ज भी किया जाता है तो पचास पैसे से एक रुपये तक। यह नेट सर्फिंग को देखते हुए बहुत सस्ता है, क्योंकि उसमें 1 घण्टे तक चैटिंग करने के 20 से 30 रुपये तक भी लिये जाते हैं। दूसरी परेशानी यह है कि आपको जो भी जवाब देना है, उसी वक्त देना होगा वरना आपका वह एक घण्टा खत्म हो जाएगा। इन मैसेज के जरिये युवक-युवतियां बातें कर सकते हैं। मैसेज का एक फायदा यह भी है कि कहीं अच्छा सा मैसेज आया हो तो उसे थोड़ा बहुत बदलकर अपने फ्रेण्ड तक भेज दो। प्यारे से मैसेज से वह खुश हो गई तो यकीन मानिये अगले दिन आपको डेटिंग को प्रोग्राम बन जाएगा।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि एस एम एस हमारे आधुनिक जीवन शैली का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बन चुका है। जिसके बिना हमारे युवा एक दिन भी नहीं र‍ह सकते। ये एस एम एस हमारे जिन्‍दगी में हवा पानी के बाद सबसे बड़ी जरूरत हो गये हैं।



5 टिप्‍पणियां:

बालकिशन ने कहा…

सब s.m.s. की माया है. प्रेम प्रसंगो को आगे बढाने के अलावा ये और भी बहुत से कामों मे मदद करते है. और अबतो जिंदगी मे कुछ इस तरह रम गए है कि जिस दिन २-४ s.m.s. ना लिए भेजे जाए वो दिन ही अधूरा सा लगता है.

मीनाक्षी ने कहा…

आज पहली बार आई और काफी कुछ पढ़ डाला. कुछ कर जाने का जज्बा दिखता है.
मैं बालकिशन जी से सहमत हूँ. sms की माया से कोई भी नहीं बचा.

शुभकामनाएँ

अजय कुमार झा ने कहा…

rashmi jee pichle kuch dino se dekhaa ki aap ne gambhir vihsyon ko thoda viram diya hai, ek lekhak ke liye achee baat hai.

kuch dino pehle anya madhamon mein sakriytaa se meraa tatparya thaa ki lekhnee mein dhaar aur painaapan laane aur baat ko bahuton tak pahuchane ke liye aapko print maadhyam mein bhee pravesh karnaa chaahiye.

jholtanma

बेनामी ने कहा…

मै बाल किशन जी की बातों से सहमत हूं कि वाकई आज एस.एम.एस. से कोई नही बच पाया। लेकिन आज छोटे छोटे बच्‍चों के हाथों में मोबाइल है, तो क्‍या वे बच्‍चे इसका सदुपयोग कर रहे हैं, या दुरप्रयोग । क्‍या इस ओर ध्‍यान देना उचित नहीं होगा । क्‍या स्‍कूल में मोबाइलीकरण होना उचित है, और अगर हां तो क्‍यों।

शुभकामनाएं सहित

अनूप शुक्ल ने कहा…

अच्छा लगा एस.एम.एस.महिमा को पढ़ना।