सोमवार, 26 नवंबर 2007

कश्‍मीर:खूबसूरती ही बनी अभिशाप भाग-2


कल की कहानी को आगे बढ़ाते हुऐ हम अगर कश्‍मीर के उत्‍तरी क्षेत्र की बात करें तो इसके अंतगर्त गिलकिट, हूंजा, बलिस्‍तां और सक्‍सगाम आते हैं। 1901 में इन क्षेत्रों को रूसी हमले के खतरे की आड़ में अपने अधिकार में ले लिया था। 1935 में केन्‍द्र सरकार के अनुरोध करने पर कश्‍मीर के महाराजा ने गिलकित एजेन्‍सी ब्रिटिश सरकार को लीज में दे दी। 1947 में लीज समझौते की अवधि समाप्‍त होने पर एजेन्‍सी पुन: महाराजा को सौंप दी गयी। लेकिन यह बात गिलकित स्‍काउट्स के प्रमुख अधिकारी को नागवार गुजरी। उसने धोखे से कश्‍मीर के राजा के विरूद्ध विरोध करा दिया, डोगरा सैनिकों और सेनाध्‍यक्ष कर्नल नारायण सिहं को मौत के घाट उतार दिया और बलिस्‍तां पर कब्‍जा करके इस क्षेत्र का अधिकार पाकिस्‍तान के पालिटिकल एजेंट सरदार मोहम्‍मद आलम को सौपं दिया।

इस प्रकार युद्ध विराम के समय तक कश्‍मीर का 86,023वर्ग किलोमीटर हिस्‍सा पाकिस्‍तान के अधिकार में जा चुका था। 1963 में पाकिस्‍तान ने सक्‍सगाम का 2060 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र चीन को सौंप दिया।

पाकिस्‍तान का कहना है कि कश्‍मीर को दोष देता है और कहता है कि यह एक विवादाग्रस्‍त क्षेत्र है। पर सच्‍चाई तो यह है कि विवाद की जड़ कश्‍मीर नहीं बल्कि पाकिस्‍तान का कश्‍मीर पर अकारण हमला है। शुरूआत में तो पाकिस्‍तान ने यह मानने से इंकार कर दिया कि उसके सैनिक कश्‍मीर में हैं परन्‍तु बाद में उसने सहमति जताई। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ आयोग ने उसे सैनिक हटाने को कहा है पर अभी तक उसने अपने सैनिक नहीं हटाऐ हैं।

पाकिस्‍तान ने 1965 और 1971 में कश्‍मीर में हमले की विफलता के पश्‍चात उसने नयी चाल चली। उसने पंजाब में आतंकवाद के तार बिछाने शुरू किये। पूरे पंजाब में आतंकवाद की ज्‍वाला धधकाई और जम्‍मू-कश्‍मीर में भारत के विरूद्ध छद्म युद्ध आरम्‍भ कर दिया। उसने पाकिस्‍तान और पाक अधिकृत कश्‍मीर में जगह जगह आतंकवादी प्रशिक्षण संस्‍थान स्‍थापित किये। और इसका सबूत है वहां पुलिस द्वारा बरामद किये गये भारी मात्रा में अत्‍याधुनिक हथियार।
हर बार हमले में मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्‍तान क्‍या चाहता है। यह भी महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न है।पाकिस्‍तान के पास कश्‍मीर को अपने अधिकार में रखने के क्‍या कारण हैं? इस बहस को सुलझाने के लिये परवेज मुशर्रफ ने भारत के सामने एक और प्रस्‍ताव रखा है। क्‍या है वह प्रस्‍ताव,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इस बारे मे हम कल की मुलाकात मे चर्चा करेगें। आशा है हम कल फिर मिलेगें।

कोई टिप्पणी नहीं: