शायद यही कह रहा आजकल शादियों का सीजन। हाल के कुछ दिनों में देश में जिस तरह से थोक के भाव से शादियां हो रही हैं, उसे देखते हुऐ तो ऐसा ही लग रहा है। बाजार वाले तो खुश हैं क्योकि उनकी तो चांदी ही चांदी है पर इन शादियों से सबसे ज्यादा परेशानी किसी को हो रही है तो वह है ट्रैफिक जाम मे फंसे हुऐ लोगों को। आफिस से शाम को घर आते हुऐ कर्मचारियों को जो सड़कों पर बारात की वजह से घण्टों जाम में फंसे रहते हैं। जिस भी सड़क से गुजरो,एक ना एक बारात से सामना तो हो ही जाता है। परेशानी तो केवल ट्रैफिक मे फंसे लोगों को है पर व्यापारी लोग तो इस सीजन का साल भर इंतजार करते हैं। भारत में अन्य त्यौहारों की तरह शादियां में सीजन में आती हैं। शादी कराने वाले पंडित जी भी तो काफी व्यस्त हैं। आखिर उन्हे भी तो एक दिन में ना जाने कई कितनी शादियां निपटानी होती हैं। अरे भाई उन्हे भी तो अपनी रोजी रोटी कमाने का अधिकार है। दूसरों के घर बसेगें तभी तो उनके घर में चूल्हे जलेगें। यही कहानी बैंड बाजे वालो की है। आखिर उनके सब्र का फल भी तो इसी सीजन में मिलता है। दिल्ली में सीलिंग के बावजूद भी कई वेंकट हाल दुबारा खोले जा चुके हैं।क्या करें भई शादियों का सीजन है। पहले लोग एक दिन में एक आदा विवाह समारोह में शामिल हो जाया करते थे पर अब तो एक दिन में ही इतनी शादियों के निमंत्रण आते हैं कि आदमी यह तय ही नहीं कर पाता कि किस शादी में जाया जाऐ और किसमें नहीं।
और अगर शादियों अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की बर्बादी होती है वह है खाना। लोग खाते कम हैं और फेंकते ज्यादा हैं।अगर भारत जैसी जनसंख्या वाले देश में जहां अब भी कई लाख लोग गरीबी की रेखा के नीचे आते हैं, जिन्हें कई बार रात को भूखा सोना पड़ता है, में अन्न को ऐसा अपमान होगा तो शायद हमसे अधिक मूर्ख और कोई नहीं है इस धरती पर।
विवाह हमारे जीवनकाल का एक महत्पूर्ण कार्य है पर इसके लिये धन की ऐसी बर्बादी करना कहां की बुद्धिमानी है?
और अगर शादियों अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की बर्बादी होती है वह है खाना। लोग खाते कम हैं और फेंकते ज्यादा हैं।अगर भारत जैसी जनसंख्या वाले देश में जहां अब भी कई लाख लोग गरीबी की रेखा के नीचे आते हैं, जिन्हें कई बार रात को भूखा सोना पड़ता है, में अन्न को ऐसा अपमान होगा तो शायद हमसे अधिक मूर्ख और कोई नहीं है इस धरती पर।
विवाह हमारे जीवनकाल का एक महत्पूर्ण कार्य है पर इसके लिये धन की ऐसी बर्बादी करना कहां की बुद्धिमानी है?
4 टिप्पणियां:
अरे वाह । सुखद समाचार । तमलब ये कि अब बहुत सारे लोग हमारी बिरादरी में शामिल होने वाले है । हा हा हा ।
आरंभ
जूनियर कांउसिल
अबे मूर्ख तिवारी के फुहर छोरे,
कहे की तेरी बिरादरी ,,, कबरी लगता है तू
कहाँ से इस बुद्धिमान सुंदर कन्या की बराबरी करेगा तू...?
कान के नीचे एक दूंगा अगर हमारी दिल्ली की छोरियो को छेर्र्द्ने की कोशिश की ...
चल घुस अपने बिल में ...
हाँ,
तू यहाँ अमेरिका मी दिखा ना ... नंगा करके गधे पे बैठा दूंगा ... क्या शकल पाई है रे लंगूर ...
दीप्ति जी,
आप निश्चिंत रहिएगा...
"बे कसूर लोगो को जो परेशां करते हैं... मैंने उन को कभी भी माफ़ नही किया है ... चाहे कोई भी हो..."
इस कीडे की क्या बिसात...?
(वैसे आप सुंदर भी हैं और बहुत सुंदर विचार हैं आप के ... अमेरिका आयें ... मिल के जयेअगा ... पलटन भेज देंगे आप को लिवा लेने को ...)
एक टिप्पणी भेजें