कहीं पढ़ा था कि शहर वह जगह है, जहां बिल्डर पहले तो पेड़ गिराते हैं और उनके नाम पर शहर की सड़कों का नाम करण करते हैं। और इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आगे आने वाला समय शहरों का है। खासकर भारत जैसे विकासशील देश में तो आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं। अभी किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक हमारे 11 शहर दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों मे शामिल किये जा चुके हैं।पर इस से भी विशेष और हैरान करने वाली बात यह है कि इन 11 शहरों मे दिल्ली, मुम्बई जैसे किसी महानगर का नाम शामिल नहीं है। इस सूची मे जगह पाने वाले शहर वह हैं जिन्हें हम छोटे शहर के नाम से जानते हैं। इनमे कई नाम तो ऐसे हैं जिनका नाम भी आपने पहली बार सुना होगा। लेकिन यही सच है कि इन्हीं छोटे शहरों में विकास की धारा तेजी से बह रही है।
हालांकि इनमे से कई शहर औद्योगिक रूप से पहले से ही विकसित हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनकी आबादी मे जिस तेजी से बढ़ोतरी हुई है, वह अभूतपूर्व है। यदि इसी गति से शहरीकरण होता रहा, तो 2021 तक देश की आधी से ज्यादा आबादी शहरों में रहेगी। सिर्फ शहरों की संख्या ही नहीं बढ़ रही है, बल्कि उनके उपभोग के तरीकों और जीवनशैली में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। दैनिक जरूरतों से लेकर इंटरनेट तक का सबसे तेजी से विकास छोटे और गैर-मेट्रो शहरों मे हो रहा है।
देखा जाये तो इंटरनेट उपयोग करने वाले लोगों की गिनती में महानगर अब भी आगे है, लेकिन उपभोगकर्ताओं की संख्या मे बढ़ोतरी की दर के आधार पर अगर देखा जाये, तो छोटे शहर काफी आगे निकल गये हैं। वर्ष 2000 मे 14 लाख इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में मेट्रोवासियों की संख्या10 लाख से ज्यादा थी, जबकि 2007 में छह करोड़ उपयोगकर्ताओं में महानगरवासियों की संख्या सिर्फ 37 फीसदी है, शेष उपयोगकर्ता छोटे शहरों से हैं। दरअसल, बड़े शहरों और महानगरों में प्रापर्टी की अनुपलब्धता और ऊंची कीमतों और मंहगी मजदूरी के कारण कई उद्योग छोटे शहरों की ओर रूख कर रहे हैं। खासकर अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ता हुआ सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग भी तेजी से छोटे शहरों की तरफ जा रहा है।
लेकिन जिस गति से हमारे यहां शहरीकरण हो रहा है, उसकी वजह से ढेरों समस्याऐं भी पैदा हो रही हैं। हमें आर्थिक विकास में तेजी तो दिख रही है, लेकिन पर्यावरण की रक्षा और बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिहाज से हमारे शहर काफी पिछड़े हुऐ हैं। छोटे शहर ही क्यों, इस मामले में तो हमारे महानगरों की हालत तो और खराब है। आज नही तो कल, बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बड़ी बनकर उभरेगी।इसलिये यह बहुत जरूरी है कि समय रहते उन कमियों को दूर कर लिया जाऐ ताकि भविष्य की परेशानियों से बचा जा सके।
हालांकि इनमे से कई शहर औद्योगिक रूप से पहले से ही विकसित हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनकी आबादी मे जिस तेजी से बढ़ोतरी हुई है, वह अभूतपूर्व है। यदि इसी गति से शहरीकरण होता रहा, तो 2021 तक देश की आधी से ज्यादा आबादी शहरों में रहेगी। सिर्फ शहरों की संख्या ही नहीं बढ़ रही है, बल्कि उनके उपभोग के तरीकों और जीवनशैली में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। दैनिक जरूरतों से लेकर इंटरनेट तक का सबसे तेजी से विकास छोटे और गैर-मेट्रो शहरों मे हो रहा है।
देखा जाये तो इंटरनेट उपयोग करने वाले लोगों की गिनती में महानगर अब भी आगे है, लेकिन उपभोगकर्ताओं की संख्या मे बढ़ोतरी की दर के आधार पर अगर देखा जाये, तो छोटे शहर काफी आगे निकल गये हैं। वर्ष 2000 मे 14 लाख इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में मेट्रोवासियों की संख्या10 लाख से ज्यादा थी, जबकि 2007 में छह करोड़ उपयोगकर्ताओं में महानगरवासियों की संख्या सिर्फ 37 फीसदी है, शेष उपयोगकर्ता छोटे शहरों से हैं। दरअसल, बड़े शहरों और महानगरों में प्रापर्टी की अनुपलब्धता और ऊंची कीमतों और मंहगी मजदूरी के कारण कई उद्योग छोटे शहरों की ओर रूख कर रहे हैं। खासकर अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ता हुआ सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग भी तेजी से छोटे शहरों की तरफ जा रहा है।
लेकिन जिस गति से हमारे यहां शहरीकरण हो रहा है, उसकी वजह से ढेरों समस्याऐं भी पैदा हो रही हैं। हमें आर्थिक विकास में तेजी तो दिख रही है, लेकिन पर्यावरण की रक्षा और बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिहाज से हमारे शहर काफी पिछड़े हुऐ हैं। छोटे शहर ही क्यों, इस मामले में तो हमारे महानगरों की हालत तो और खराब है। आज नही तो कल, बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बड़ी बनकर उभरेगी।इसलिये यह बहुत जरूरी है कि समय रहते उन कमियों को दूर कर लिया जाऐ ताकि भविष्य की परेशानियों से बचा जा सके।
3 टिप्पणियां:
तरक्की हो रही है?
बहुत अच्छे. आपका सपना सच हो यही हमारा सपना है अब तो.आमीन
आपकी चिंता सही है पर तरक्की के आगे व पीछे के सच के साथ जीना ही शायद विकास है ।
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