बुधवार, 31 अक्तूबर 2007

दुनिया का सबसे अमीर आदमी एक गरीब देश से

बड़ी असमंजस में हूं कि ये हर्ष का विषय है या विषाद का।दुनिया का सबसे अमीर व्‍यक्ति हमारे देश से है और फिर भी हमारे देश का किसान गरीबी और भूख से लाचार होकर आत्‍महत्‍या करने को मजबूर है।खबरों के अनुसार परसों अचानक शेयरों के भाव बढ़ने से मुकेश अंबानी इस दुनिया के सबसे अमीर व्‍यक्ति बन गये।इस मामले में उन्‍होनें बिल गेट्स और वारेन बफेट को भी मात दे दी।पर बावजूद इसके देश की स्थिति और हालात आज भी जस के तस हैं।आज भी हमारे यहां बड़ी संख्‍या में लोग गरीबी की रेखा के नीचे आते हैं।ऐसे गांवो की भी कोई कमी नहीं जहां लोगों ने आज तक बिजली का मुंह तक नहीं देखा है।कहा जाता है कि सारी दुनिया में सबसे ज्‍यादा अंग्रेजी भारत में बोली जाती है तो ऐसे देश में साक्षरता की दर इतनी कम क्‍यों है?देश का किसान कर्ज से दबकर आत्‍महत्‍या करने को इतना मजबूर क्‍यों है?इन सब सवालों का केवल एक ही जवाब है कि हमारे देश में अमीर आदमी और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा है।अमीर जोंक की तरह आम जनता का रक्‍त चूसकर अपनी रईसी का घड़ा भरता जा रहा है।उसे इस बात से कोई सरोकार नहीं कि देश का आम आदमी किस तरह जूझ रहा है। अगर बिल गेट्स की बात करें तो उनमें अगर धन कमाने की काबिलियत है तो धन दान करने और जरूरतमन्‍दों के लिये कार्य करने की काबिलियत भी है।उन्‍होने स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा जैसी संस्‍थाओं को 13 अरब डालर की आर्थिक सहायता भी की है।और यदि वारेन बफेट की बात करें जो कि दुनिया के सबसे बड़े निवेशक भी हैं,उनकी कम्‍पनी हैथवे इन्‍वेस्‍टमेन्‍ट के एक करोड़ के शेयर दान किये गये है जिनकी कीमत 30 अरब डालर आंकी गयी है।पर इस मामले मे मुकेश अंबानी का खाता बिल्‍कुल खाली है।जहां बिल गेट्स और वारेन बफेट जैसे लोग सबको एक साथ लेकर चलने मे यकीन रखते हैं वहीं हमारे देश का उच्‍च वर्ग केवल अपनी तिजोरी भरने में यकीन करता है।नतीजा गरीब तबका आज भी फुटपाथ पर सोने को मजबूर है और अमीरों के महल जैसे घर खाली पड़े रहते हैं।आम जनता लोकल बसों में भेड़-बकरियों की तरह यात्रा करती है और उच्‍च वर्ग के हर सदस्‍य का अपना निजी वाहन है।अगर यही सिलसिला जारी र‍हा तो देश से गरीबी नहीं बल्कि गरीब ही मिट जाऐगें।

16 टिप्‍पणियां:

Ashish Maharishi ने कहा…

अपनी आवाज तो बस ऐसे ही शब्द देती रहे.

दीप्ति गरजोला ने कहा…

आशीष्‍ा जी मैं आपका अर्थ नहीं समझी।

Unknown ने कहा…

Awesome too good.Cheers

Ashish Maharishi ने कहा…

दीप्ति जी..हम पत्रकार चाह कर भी आम आदमी की आवाज़ नहीं बन पते हैं...और यदि बनना चाहते हैं को सफल नहीं हो पते हैं...इसीलिए मैं यह कहना चाह रहा था कि आप ऐसे ही मुद्दों पर लिखती रहें..जो आम जन से जुड़े हुए हैं...आपने अच्छा लिखा है..

अभय तिवारी ने कहा…

इस विषमता पर और बात होनी चाहिये..

Manoj ने कहा…

अच्छा लिखा है. लिखती रहें

Udan Tashtari ने कहा…

आपके हिसाब से मुकेश अंबानी को क्या करना चाहिये??

और हाँ इसी दृष्टिकोण से हमें और आपको क्या करना चाहिये??

Ganesh Singh Diniyan ने कहा…

आप का लेख सराहनीय है विषय भी काबिले तारीफ है हलाकि मैं इस बात से गौरवान्वित महसूस करता ह की हमारे देश के एक व्यक्ति ने इतिहास के प्रश्ठो अपने आप को सबसे धनी अंकित कर देश का गौरव बढाया है वही मैं आप की इस बात से सहमत भी ह की हमारे देश का महत्वपूर्ण सामाजिक भाग और भी गरीब होते जा रहा है मैं तो ये भी कहूँगा ये समाज साल दर साल बड़ते जा रहा है पर ऐसा क्यों......................?

ghughutibasuti ने कहा…

दीप्ति जी , खाली अमीर को बुरा कहने से यदि कोई महान बन जाता तो भारत की ८० प्रतिशत जनता व संसार के सारे साम्यवादी महान बन जाते । किन्तु दुख इस बात का है कि बोलना बहुत सरल है करना बहुत कठिन । क्या आपने अंबानी जी पर पूरा शोध करकर यह लेख लिखा है ? कृपया आप भी जानने की कोशिश कीजिये, मैं भी करती हूँ । क्या यह सच नहीं कि उनकी कंपनियाँ लोगों को नौकरी देती हैं ? जामनगर में जब भी पानी की किल्लत होती है रिलायन्स अपने समुद्र से पेय जल निकालने की सुविधा से जनता को भरसक पेयजल देता है । मुझे पूरी आशा है कि जैसे जैसे कंपनियाँ लाइसेंस राज के शिकंजे से छूटकर अधिक मुक्त महसूस करेंगीं वैसे वैसे वे शिक्षा आदि में सहयोग करेंगीं ।
क्या आप या मैं अपने गहने , कढ़ाई किये मंहगे वस्त्र तजकर सस्ते कपड़े पहन बचे पैसे गरीबों में बाँट रहे हैं ? जो बात आप कह रही हैं उसको कहने का अधिकार केवल उन्हें है जो स्वयं सादा जीवन जीते हैं और बचा पैसा लोगों में बाँटते हैं । जो आज भी गाँधी सा सादा जीवन जी रहे हैं । वैसे सच तो यह है कि जब आप या मैं महंगे कढ़ाई किये वस्त्र पहनते हैं तो बहुतों को रोजगार मिलता है ।
इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है इस विषय पर कुछ और सोचें ।
घुघूती बासूती

Unknown ने कहा…

वौ ।। दीप्ती जी ,
फिर से एक बेहतरीन मुद्दा ।।
बहुत अक्चि बात कहि हैआपने इस आलेख के मद्यम से ।।।
आपका यह काम बहुतहीसराहनीय है विषय भी काबिले तारीफ है।।
दीप्ती जी आपस बस यही उमीद करता हूँ की आप ऐसे ही मुद्दों पर लिखती रहें।।जो आम जन से जुड़े हुए हैं।।।आपने अच्छा लिखा है ..
आगे भी आपसे उम्मीद और बद्थ गई है ..
हाँ बस पार्टी पॉलिटिक्स से बच क रहना ...

दीप्ति गरजोला ने कहा…

घघूती बासूती जी,
सबसे पहली बात तो यह कि ये लेख लिखने का मकसद मुझे स्‍वंय को महान कहलाना नहीं था।और जहां तक आपने अंबानी की कम्‍पनी मे हजारों लोगों के रोजगार की बात की है तो क्‍या यह बताइये क्‍या इतनी बड़ी कम्‍पनी को अकेले चलाने की सार्म्‍थय उनमे है।उन्‍हें भी काम करने वाले लोगो की उतनी ही जरूरत है जितनी कि लोगो को उनकी।और रही बात आपके और हम जैसे लोगो के कपड्रे आदि दान करने की।तो शायद आप भूल रही है कि हम लोग साधारण मध्‍यम वर्गीय लोग है।फिर भी अपनी तरफ से अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार गरीबों और जरूरत मंदो की मदद कर सकते है।क्‍या आपने आज तक किसी जरूरतमंद की मदद नहीं की है।
पर जहां तक अंबानी जी का सवाल है तो अगर वह दुनिया के सबसे अमीर व्‍यक्ति हैं तो निश्वित ही वह साधारण इंसान तो हैं नहीं।और उनकी साम्‍थर्य किसी भी आम इंसान से कहीं ज्‍यादा होगी।तो उनका यह फर्ज बनता है कि वह देश की अर्थिक रूप से मदद करें।अगर बिल गेट्स अपने आर्थिक रूप से समपन्‍न देश की मदद कर सकते हैं तो भारत को तो ऐसी स‍हायता की सबसे ज्‍यादा आवश्‍यकता है।

दीप्ति गरजोला ने कहा…

समीर जी,
मेरे ख्‍याल से हम पत्रकारो का काम केवल लिखकर अपनी बात को समाज तक पहंचा कर उन्‍हें जागरूक करना है।और अंबानी जी को मेरे ख्‍याल से थोडी सीख बिल गेट्स आदि से लेनी चाहिये।

Unknown ने कहा…

hi deepti u have writen.true....really apane desh k samame sabse badi problem imbalance and conceratred development ki hai...es shining india k piche ek aisha barat chhipa hai..jo aaj bhi bhukh se marta hai...footpath part sota hai.....we have to care for that bharat

Pankaj ने कहा…

दीप्ति जी मैंने आपका लेख पढ़ा ....मुझे इस बात पर थोडी कोफ्त हुई की आप भी विदेशियो की तरह इस देश को गरीब देश मानती हैं. जैसा विदेशी कहते रहते हैं भारत सपेरों का देश है! माना की गरीबी हमारे देश की बड़ी समस्या है लेकिन इस गरीबी का सबसे बड़ा कारन अशिक्षा है पढ़ा लिखा आदमी कभी भूखे पेट नही मरता...ऐसा मैं सोचता हूँ और जहा तक मुकेश अंबानी की बात है मुझे इस बात पर नाज़ है आज जब हम पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवा चुके हैं..ऐसे मैं इस देश का कोई आदमी जो पूरी दुनिया मैं सबसे राईस है अच्छी बात है..! हर देश मैं गरीब हैं आप यहाँ के गरीबो को अच्सहे से जानती हैं...आपकी संवेदना की बहुत कद्र करता हूँ..मैं आपको एक बात और कहना चाहूँगा इस देश से गरीबी ताब तक दूर नही होगी..जब तक इस देश को सुधारने का दंभ भरने वाला आदमी जो ड्राइंग रूम मैं बैठ कर एसी की हवा मैं काफ़ी पीते हुए गरीबी गरीबी की रट लगाना छोड़ कर आम आदमी के बीच नही जाएगा..

darshan ने कहा…

dipti ji , namaskar aapke blog ko waise pahli bar padh raha hoo.bharat ek garib desh hai yah mat kahiye,bali kahye ki bharat ek sampann desh hai, bas iski janta ka adhikansh garib hai.jisme kuch % un logo kabhi hai jinke pas kuber ke khjane hai,sath hi kuch aise bhi jinke pas khane ko bhi paise nahi hai.aur kya kahoo.jabab jaroor dijiyega.namaskar

dhyani bhai ने कहा…

good writing