उस मॉडल को क्या पता था कि जिस आर्कुट को वह अपना सबसे अच्छा मित्र समझ रही है वही आर्कुट उसे जी का जंजाल बन जाऐगा।मुम्बई की इस मॉडल ने फिल्मों मे काम करने की इच्छा से अपना फोटो,पता और फोन नम्बर तक आर्कुट मे डाल रखा था।पर किसी शरारती तत्व ने उसे काल गर्ल का दर्जा देते हुऐ यही जानकारी उसके नाम के साथ आर्कुट पर जोड़ दी और इसी के साथ शुरू हुआ अंतहीन परेशानियों का दौर। उसके बाद ना केवल उसे अश्लील फोन काल्स आने लगे बल्कि कुछ महानुभाव तो उसके घर तक जा पहुंचे।
आर्कुट से जुड़ी ये घटना पहली और अकेली नही है।अभी कुछ दिन पहले मुम्बई के व्यापारी के अपह्रत पुत्र अदनान की हत्या को आर्कुट से जोड़ कर देखा जा रहा है।इस घटना ने आर्कुट को संदिग्धता की श्रेणी मे ला खड़ा किया है।अदनान के जिन दोस्तो ने उसका पहले तो अपहरण तथा फिर हत्या का कुर्कत्य किया,उनसे अदनान की मुलाकात मात्र छह: माह पहले आर्कुट के जरिये ही हुई थी।अगर विश्लेषण किया जाये तो आर्कुट से जुड़े अपराधों की संख्या बहुत लम्बी है।परन्तु इन सब पर चर्चा करने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर क्या है ये आर्कुट-
आर्कुट की शुरूआत जनवरी2004 मे हुई थी।इसको बनाने का श्रेय आर्कुट बुयुक्कोकटेन को जाता है।दरअसल आर्कुट एक इण्टरनेट सोशल नेटवर्क है जो गूगल के द्वारा संचालित होता है आर्कुट के दावे के अनुसार यह साइट सामाजिक मेल-जोल को बढावा देती है।इसके द्वारा नये मित्र बनाऐ जा सकते है और पुराने मित्रो को ढ़ूढ़ा भी जा सकता है।वैसे देखा जाये ता गूगल ने आर्कुट की शुरूआत अच्छे मकसद से की थी पर कुछ गलत हाथों ने इसका आपराधिक इस्तेमाल करके इसे विवादों की श्रेणी मे ला खड़ा किया है।
कार्य करने का तरीका-
आर्कुट इस्तेमाल करने के लिये सर्वप्रथम इसमें एकाउंट होना आवश्यक है।इसके लिये आर्कुट की कुछ शर्तें होती है।इस एकाउंट के जरिये केटेगरी और रूचि के आधार पर मित्र बनाये जा सकते है।अथवा उन्हे मित्रता का निमंत्रण भेजा जा सकता है।इस लोकप्रियता की दर का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी मे प्रारम्भ हुई इस साइट के सदस्यों की संख्या 10,00,000 थी जो कि सितम्बर में 20,00,000 तक पहुंच गयी।ताजा सर्वे के अनुसार 21 अगस्त 2007 को यह आकड़ा6,82,40,913 को भी पार कर गया।इस लोकप्रियता का मुख्य कारण है कि इसमे आपको अपने रूचि और पसन्द के आधार पर मित्र बनाने की स्वतंत्रता है और कई पुराने मित्रों को भी ढ़ूढा जा सकता है।
आर्कुट से जुड़े विवादित तथ्य-
स्वयं को सोशल नेटवर्क की संज्ञा देने वाला आर्कुट कभी-कभी कितना खतरनाक सिद्ध हो सकता है और केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि जाने-माने लोग भी इसका शिकार हो सकते है-इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल के दिनों मे सामने आया है।आर्कुट पर सोनिया गांधी को अमेरिका ऐजेंट बताया गया था।मायावती से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के फर्जी एकाउंट तैयार करने वालों की कोई कमी नही है।इस फर्जी एकाउंट मे तस्वीर तो बादल की ही है लेकिन जो सम्बन्धित जानकारियॉ डाली गयी हैं वह किसी ऐसे व्यक्ति की हैं जिसने स्वयं को मूल रूप से पट्रटी का तथा वर्तमान में अमृतसर का रहने वाला बताया है। इससे भी ज्यादा रोचक तथ्य यह है कि चीफ मिनिस्टर ऑफ पंजाब के नाम से बने इस प्रोफाइल मे मित्रों की संख्या केवल 10 है।जिनमें से 4 ने स्वयं को मुख्यमंत्री का फैन ्बताया है। बातचीत के तौर पर भेजे गये स्क्रैप्स की संख्या 29 अगस्त की शाम तक 64 थी। यह प्रोफाइल लगभग आठ माह पुराना है तथा अंतिम स्क्रैप 10 अगस्त को भेजा गया है। परन्तु इस स्क्रैप मे काफी आपत्तिजनक बातें लिखी गयी हैं।
दूसरी घटना में पिछले वर्ष 10 अक्टूबर 2006 को एक याचिका पर मुम्बई हाई कोर्ट ने गूगल को ‘इण्डिया के खिलाफ घृणा अभियान’ चलाने का नोटिस दिया था।शिव सेना के खिलाफ भी आर्कुट पर अभियान चलाया गया था।तब शिव सैनिकों ने क्रुद्ध होकर आर्कुट को मुम्बई और आसपास के इलाकों मे प्रतिबन्धित कर दिया था।
अपराध के लिये इस्तेमाल-
आज आर्कुट कम्यूटर हैकर्स की पहली पसन्द बनता जा रहा है।उनके द्वारा इसमें कई फर्जी लॉग इन पेज बनाऐ गये हैं।जिनसे यूजर्स के एकाउंट की जानकारी चुरा ली जाती है।मैथ्यू जेशेफर ने आ ई ओ स्फेअर जर्नल में प्रकाशित अपने लेख में लिखा है कि आंतकी समूह अपनी गतिविधियों के लिये आर्कुट का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या है बचाव-
किसी भी को भी आर्कुट पर एकाउंट शुरू करने से पहले इसके नियम और शर्तें स्वीकार करनी होती हैं।परन्तु हैक करने के बाद कोई भी जानकारी किसी भी एकाउंट मे डाली जा सकती है।
परन्तु फिर भी कुछ सावधानियां बरतकर आर्कुट पर इन समस्याओं से एक हद तक बचा जा सकता है- अपनी वास्तविक और व्यक्गित जानकारी प्रोफाइल मे डालने से बचें।
फोटो के स्थान पर कोई वॉलपेपर या कार्टून कैरेक्टर का इस्तेमाल करना अच्छा होता है।
किसी की मित्रता का आंमत्रण स्वीकार करने से पहले उसका प्रोफाइल और उससे सम्बन्धित स्क्रैप्स जॉच ले और विश्वासनीयता सिद्ध होने पर ही उससे जुड़े।
इण्टरनेट पर बने मित्रों से एक दूरी बनाऐ रखें।
वैसे देखा जाऐ तो हर सिक्के के दो पहलू अवश्य होते हैं।आर्कुट की शुरूआत तो अच्छे मकसद के लिये की गयी थी,पर कुछ संकीर्ण मानसिकता वाले लोग जो कि हर जगह होते हैं अच्छाई मे भी बुराई को ढूढ ही लेते हैं।आर्कुट की छवि को धूमिल करने मे यही लोग जिम्मेदार हैं।जिनका मकसद केवल दूसरों के अहित से स्वयं की स्वार्थ सिद्धि है।
मंगलवार, 11 सितंबर 2007
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
5 टिप्पणियां:
दीप्ति जी.. आप का ब्लोग देख कर अच्छा लगा.. स्वागत है..लेकिन आप ने लिखा है कि दर्पण. कभी झूठ नही बोलता.. मै तो कहूंगा.. दर्पण बिल्कुल उल्टा बोलता है..और हमेशा उल्टा बोलत है..कभी भी इसका विश्वास मत करना। सीधे को उल्टा और उल्टे को सीधा बताता है..आजमा के देख लो.. बाएं को दायां और दाएं को बायाम बताता है..
और परछाईं.. वह भी कभी कभी साथ छोड़ देती है..खासकर तब जब आपको उसकी सर्वाधिक जरूरत होती है.. अंधेरों में...
My blog is..
http://kavikulwant.blogspot.com
Please read my poetry and comment..
kavi kulwant
nice article...
बढ़िया लिखा है!
मैने तो ओर्कुट को हाथ तक नही लगाया.
website: www.vibgyorlife.com
hindi blog: ankurthoughts.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें