एक शहर जिसकी खूबसूरती ही उसकी पहचान है। बात हो रही है उत्तरांचल की। चारों ओर सुन्दर और घनी वादियों से घिरे इस शहर को देखकर ऐसा लगता है कि कुदरत ने इस जगह को बेपनाह हुस्न बख्शा है।
नैनीताल की खोज मिस्टर पी. बैरन ने १८४० में की थी। इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है यहां स्थित नैनी झील। जिसके कारण इसे सरोवर नगरी भी कहा जाता है। आंख का आकार लिये हुए इस झील के बारे में मान्यता यह है कि पार्वती अपने पूर्व जन्म में सती राजा की पुत्री थी। उस जन्म में भगवान शिव से रुष्ट होकर वह सती हो गयी थी। तब उनकी आंख इस जगह पर गिरी थी। वैसे यह झील अपना रंग बदलती रहती है। कभी हरा तो कभी नीला। इस झील की गहराई भी बहुत अधिक है। पर्यटक झील का आनन्द नौकायन द्वारा करते हैं। झील के समीप ही नयना देवी मंदिर भी है जो कि बहुत पुराना है और मान्यता भी बहुत अधिक है। यहीं पर प्रसिद्ध नन्दा देवी का मेला लगता है।
नैनीताल का इतिहास पौराणिक कथाओं में कितना सच है, इस बात के पुख्ता सबूत नहीं परन्तु यह शहर अंग्रेजी हुकूमत का साक्षी है व उसके कई साक्ष्य भी यहां मौजूद हैं। अंग्रेजों का इस शहर से लगाव उनके द्वारा बनवाये गये भवनों और सड़कों से लगाया जा सकता है। यहां कि प्रसिद्ध माल रोड को अंग्रेजों ने निर्मित करवाया था। हिन्दुस्तानियों के प्रति उनकी घृणा और तिरस्कार यह सड़क आज भी बयां करती है। अंग्रेजों ने इस मार्ग को ऊपर-नीचे दो हिस्सों में बांटा था। ऊंची सड़क सिर्फ अंग्रेजों के लिये थी तथा निचले मार्ग से हिन्दुस्तानी जाते थे। भारतियों को ऊपरी सड़क पर चलने की सख्त मनाही थी।
माल रोड के अलावा अंग्रेजों ने राजभवन का निर्माण करवाया था, जो आज भी सचमुच किसी राजा के महल के समान प्रतीत होता रहै। वर्तमान उत्तरांचल का उच्च न्यायालय जो कि नैनीताल में स्थित है, अंग्रेजों द्वारा निर्मित है। इसकी बनावट व खूबसूरत देखते ही बनती है।
हर वर्ष हजारों देशी-विदेशी सैलानी नैनीताल घूमने आते है। यहां देखने के लिये बहुत ही जगह है। जैसे स्नो व्यू, टिफिन टाप, नैना पीक आदि। यह पिकनिक पाइंट बहुत ऊंचाई पर है। इनमें से स्नो व्यू पर आप रोप-वे से भी जा सकते हैं। अगर मौसम सुहावना है तो आप यहां से दूरबीन द्वारा दूर पहाड़ों पर बिखरी बर्फ को भी देख सकते हैं। यहां एक प्राणी उद्यान भी है, जहां बहुत से दुलर्भ प्राणियों को भी देखा जा सकता है। यहां का साइबेरियन बाघ इस प्राणी उद्यान की शान है। यहां पर कई पक्षी ऐसे हैं जिनकी जाति विलुप्त होने के कगार पर है। नैनीताल में एक जगह कैमल्स बैक के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर कुछ पहाड़ियां एक साथ इस तरह की हैं कि मानो बहुत से ऊंट बैठे हों। कैमल्स बैक से कुछ दूरों पर लैण्ड्स एंड है। यहां ऐसा लगता है कि धरती का यह आखिरी छोर है और आगे धरती समाप्त हो गई। नैनीताल पर्यटन स्थल के अलावा एक और बात के लिये प्रसिद्ध है, वह है यहां कि खूबसूरत मोमबत्तियां। यहां तरह-तरह के आकार की रंग-बिरंगी मोमबत्तियां बनाई जाती है, जिसे यहां आये हुए सैलानी खरीदना नहीं भूलते।
यहां के लकड़ी के बने शो-पीस बहुत ही खूबसूरत होते हैं। वर्षा ऋतु को छोड़कर यहां वर्ष भर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। शीत ऋतु में यहां गिरने वाली बर्फ भी पर्यटकों को अपने ओर खींचने लगती है। शीत ऋतु में बर्फ की चादर ओढे नैनीताल और भी खूबसूरत लगता है। हर साल हजारों सैलानी नववर्ष मनाने यहां आते हैं।
सिर्फ नैनीताल ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े आस-पास के इलाके भी देखने योग्य है। नैनीताल से २२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमताल भी एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर एक झील भी है। इस झील की सबसे खास बात यह है कि झील के बीचों-बीच एक टापू है, इस टापू पर एक रेस्टोरेंट है। पर्यटकों को इस जगह पर आने के लिये नाव का सहारा लेना पड़ता है। नैनीताल से २३ किलोमीटर दूर सात ताल है। कहा जाता है कि इस ताल के सात कोने है, पर कोई भी व्यक्ति पूरे सात कोनों को एक साथ नहीं देख सकता।
वर्तमान समय में पर्यावरण के बढते प्रदूषण से नैनीताल भी अछूता नहीं रहा है। प्रदूषण के कारण यहां की नैनी झील भी मैली हो चुकी है। हर वर्ष यहां मरने वाली मछलियों की संख्या में तेजी पाई गई है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण यहां के तापमान में भी बढोतरी हुई है। यहां गिरने वाली बर्फ में भारी कमी आई है। हालांकि प्रशासन इस प्राकृतिक धरोहर को प्रदूषण मुक्त करने के बहुत से उपाय कर रहा है, जिसके चलते नैनीताल में पालीथीन के प्रयोग पर प्रतिबंध है। इतना करना पूर्ण नहीं है। यहां आने वाले पर्यटकों को भी इस जगह के प्रति अपना दायित्व समझना होगा। भविष्य में हम लोग नैनीताल को किताबों में देखना चाहते हैं या यथार्थ में। यह हम सबको मिलकर तय करना है।
मंगलवार, 11 सितंबर 2007
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2 टिप्पणियां:
आपका हिन्दी ब्लागिंग में हार्दिक स्वागत है। नैनीताल का अच्छा वर्णन है। बस आगे भी पढाती रहिऐ।
धन्यवाद व शुभकामनाऐं
सुन्दर शहर का सुन्दरता से वर्णन किया है, आपने
धन्यवाद
मनमोहन
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