मुकेश अंबानी ने अपनी पत्नी को ढ़ाई सौ करोड़ का विमान तोहफे में दिया। अगर यह सच है तो मेरे देश की गिनती गरीब देशों मे क्यों की जाती है? क्योंकि जिस देश में पति अपनी पत्नी को ढ़ाई सौ करोड़ का विमान तोहफे में दे सकता है ,वह देश गरीब कैसे हो सकता है? पर यही तो विडंबना है मेरे देश की कि मेरा देश अभी भी गरीबों का देश बना हुआ है। अभी भी देश में सर्दी की रातों में ठंड से ठिठुरकर कर मरने वालों की लम्बी गिनती है। गर्मी की दोपहरों में अभी भी गरीब लू से जलने को मजबूर है। अभी भी कई बार गरीब का बच्चा रात को भूखा सोने को मजबूर है। पर सच तो यह है कि इन छोटी-छोटी बातों से मुकेश अंबानी जैसे बड़े आदमी का क्या वास्ता?
ठीक है मैं यह नहीं कहती कि उन्हें अमीर होने का कोई हक नहीं है और यह भी नहीं कहती कि सारे देश भर के गरीबों की समस्याओं का भार उन्हें अपने ऊपर ले लेना चाहिये, परन्तु यदि इसी रकम का कोई अस्पताल या कोई अन्य ऐसी जगह का निर्माण कराते जिस से गरीबों का कुछ भला हो जाये और उसे अपनी पत्नी को तोहफे के रूप में सौंप देते तो उन हजारों लाखों गरीबों का आशीष भी उन्हें प्राप्त होता और गरीबों तबके के कुछ लोगों की कुछ समस्याओं का समाधान मिल जाता।
इसी तरह से अमिताभ बच्चन जैसे कुछ लोग भी हमारे देश में है जो उन मंदिरों में लाखों रूपये का चढ़ाते हैं जिनके दानपात्र पहले से ही भरे हुऐ हैं। यदि यही रकम वह अगर किन्हीं जरूरतमंदों की मदद के लिये खर्च कर देते तो ईश्वर क्या उनसे कुपित हो जाते।
चलिये ये सब उदाहरण उन धनवानों के थे जिन्होनें स्वयं के पैसे का दुरूपयोग किया है , परन्तु इस देश में तो जनता यानि कि सरकारी पैसे के दुरूपयोग करने वालों की भी कोई कमी नहीं है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण तो राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं जो सौ करोड़ तो विमान खरीदने में पहले ही खर्च कर चुकी हैं और अभी 15 करोड़ रूपये हवाई पटृटी बनाऐ जाने में खर्चे जा रहे हैं। और हास्यपद् बात तो यह है कि यह सब खर्चा उस राज्य में किया जा रहा है जहां लोग सालों से भुखमरी का शिकार हैं। जब राज्य का मुख्यमंत्री ने ही अपनी जनता से आंखे फेर ली हों तो आम आदमी अपनी समस्याओं की और किससे गुहार लगाऐगा?
यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब पाना देश के भविष्य और प्रगति के लिये बहुत जरूरी है। नहीं तो इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में गरीब की समस्या का तो पता नहीं पर शायद गरीब अवश्य समाप्त हो जाऐगा।
शनिवार, 12 जनवरी 2008
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6 टिप्पणियां:
दिप्ति जी बचमन मे पढा था,
बडा हुआ कया हुआ,जेसे पेड खजुर
पन्छी को छाया नही,फ़ल लागे अति दुर.
यह सब खजुर के पेड हे,बाकी जनता को चहिये ऎसे नेता को वोट न दे जो देश से ज्यादा अपनी जरुरत को महत्ब देता हो,अपनी ऎयाशी पर धयान देता हो
yes thts correct. But its their own money and it shouldnt be expected out of them to spend it on smthng they dont want.
even tho ppl like Bill gates n waren buffet are distributing their fortune to the poor ppl but its out of their own wit. It can't be forced nor criticized. After all I dont feel like paying my hard-earning money to every beggar that shows up in the road
नमस्कार संदीप जी,
मैं आपकी पहली बात से तो सहमत हूं कि यह उनका अपना धन है वह जैसा चाहें इसे खर्च सकते हैं। और यह बात मैने लिखी भी है कि मैं यह नहीं कहती कि उन्हें अपना सारा धन गरीबों में बांट देना चाहिये पर कम से कम ऐसा काम तो कर सकतें है ना जिससे देशवासियों का जीवन स्तर सुधारा जा सके। यदि इसी धन को वह किसी उद्योग शुरू करने में लगाते तो ना जाने कितने बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता। तो क्या उस धन का सदुपयोग नहीं होता। ऐसे तो गरीब और गरीब होता चला जाऐगा और अमीर और अमीर,,,,,,,यह खाई कभी समाप्त नहीं हो पाऐगी। जो कि देश्ा की तरक्की में सबसे बड़ी रूकावट है।
deepti jee,
shubh sneh, haan aapne sahee kahaa ki yahee is desh ki sabse badee vidambnaa hai ki ye desh gareeb nahin hain yahan ke log gareeb hain . ye bhee thee hai ki yadi kuchh dhanwaan log sachmuch chaahein to sthti badlee jaa saktee hai phir chaahe wo pooree tarah naa bhee badle . magar jaantee hain kuchh galtee to un logon ki bhee hai jo gareeb bane rehnaa hee chaahte hain , main jaantaa hoon aap kahengee aise kaun se log hain jo gareeb rehnaa chaahte hain magar mera ishaaraa us maansikta ki taraf hai jo gareebee se ladne ke bajaay gareebee mein hee jindgee gujaarnaa pasand kartee hai . lekhan jaaree rakhein
कटु सत्य!! मगर ठीक विपरीत देखे तो हम क्या करते है किसी गरीब के लिए और जब ख़ुद किसी गरीब के लिए कुछ नही करते तो किसी से उम्मीद कैसे कर सकते है की वो कुछ करेगा | आखिर वो आमिर भी कोई और नही हम से ही एक है और शुरुवात तो ख़ुद से करनी पड़ती है |
अमर
दीप्ति जी आपको शायद पता नहीं आज भी भारत सबसे ज्यादा सोने की खपत वाला देश है हम भारतीये कुछ रिश्तो के लिए पराए तो क्या अपनों को छोड़ देते है जैसे हर लड़की अपने पति के घर को स्वरने के लिए अपने माता पिता को छोड़ सौरल को स्वार्ती है इसलिए पत्नी को हर व्यक्ति अपने सम्र्थ्ये के अनुसार ज़रूर ज़रूर तोहफे देता रहता है
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