मंगलवार, 23 अक्तूबर 2007

गुजरात में रक्‍त नहीं,विकास के जिम्‍मेदार-नरेन्‍द्र मोदी

गुजरात में चुनावी बिगुल फूंका जा चुका है और शुरू हो चुकी है उल्‍टी गिनती।यदि चुनाव भारत के सबसे विकसित राज्‍य का हो तो वह और भी महत्‍वपूर्ण हो जाता है।ऐसे में सबकी नजरें जा टिकी हैं गुजरात के वर्तमान मुख्‍यमंत्री-नरेन्‍द्र मोदी पर।गुजरात में उनके कार्यकाल पर नजर डालें तो यह भारी उतार-चढाव वाला रहा है।इसके मध्‍य उन पर आरोप-प्रत्‍यारोप का सिलसिला चलता रहा।परन्‍तु इन बातो से ऊपर एक सबसे बड़ा सत्‍य यह भी है कि आज गुजरात जिस ऊंचाई और स्थिति मे है उसका पूरा श्रेय नरेन्‍द्र मोदी को जाता है।आज गुजरात भारत का सबसे विकसित राज्‍य है।राजीव गांधी फाउन्‍डेशन द्वारा उसे देश के सबसे बेहतर राज्‍य की पदवी भी मिल चुकी है। परन्‍तु दुख: की बात यह है कि जिस व्‍यक्ति ने राज्‍य को इस ऊंचाई तक पहुंचाया,आज उसी को राजनीतिक घराने के कुछ लोग मुख्‍यमंत्री पद के लिये अयोग्‍य करार दे रहे हैं।उनके कार्य काल के दौरान भी कई बार उनसे इस्‍तीफे की मांग की गयी थी।इन विरोधियों के पास मोदी के खिलाफ केवल एक ही मुद्दा है-गोधरा कांड।इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि गोधरा कांड देश के इतिहास की शर्मनाक घटना है परन्‍तु गौर करने वाली बात यह है कि यह देश के इतिहास का पहला हादसा तो नहीं है।भारत के कई ऐसे राज्‍य हैं जो इस तरह के साम्‍प्रदायिक दंगों की मार झेल चुके हैं पर ऐसा एक भी राज्‍य नहीं जो गुजराज की तरह ना केवल हादसे से उबरा बल्कि देश का सबसे विकसित राज्‍य बन कर अपनी काबलियत का सबूत भी दिया हो।नरेन्‍द्र मोदी को अयोग्‍य करार देने वाले गोधरा हादसे का राग तो अलापते हैं पर यह भूल जाते हैं कि राज्‍य का इतना विकास कार्य भी उनके कार्यकाल के मध्‍य हुआ है।
आइये जरा एक नजर मोदी जी के राजनीतिक इतिहास पर डालते हैं- राजनीति मे उनकी शुरूआत 1974 में राष्‍ट्रीय स्‍ंवय सेवक संघ के सदस्‍य के रूप में हुई थी।बीजीपी में उनका प्रवेश उस समय हुआ जब उन्‍हें गुजरात में पार्टी की ओर से सचिव नियुक्‍त किया गया।तथा 2001 में उन्‍हें गुजरात के मुख्‍यमंत्री बनने का गौरव प्राप्‍त हुआ।जिस समय उन्‍हें मुख्‍यमंत्री बनाया गया था उस वक्‍त गुजरात उसी साल जनवरी मे आये भूकम्‍प की मार झेल रहा था।पूरा राज्‍य आकाल और सूखे की चपेट में था।पूरा राज्‍य रेगिस्‍तान बनता जा र‍हा था।नरेन्‍द्र मोदी ने कार्यभार संभालने के तुरन्‍त बाद राज्‍य मे जल संचय अभियान शुरू किया।नदियों और कुंओ का निमार्ण किया।जिससे ना केवल राज्‍य मे जल समस्‍या दूर हुई बल्कि गुजरात देश के अन्‍य राज्‍यो के लिये मिसाल बन गया।जल के पश्‍चात राज्‍य की दूसरी सबसे बड़ी समस्‍या थी बिजली की।गुजरात के कई गांव ऐसे थे जहां बिजली नहीं थी।मुख्‍यमंत्री ने इस समस्‍या से निबटने के लिये ‘ज्‍योति ग्राम योजना’ शुरू की।जिसके तहत केवल 1000 दिन के भीतर 18000 गांवों मे बिजली व्‍यवस्‍था की गयी। उन्‍होनें गोधरा हादसे के पीडित लोगों के लिये भी बहुत कुछ किया है। आगामी चुनावों गुजरात की जनता किसे अपना मुखिया चुनती है इस प्रश्‍न का उत्‍तर तो भविष्‍य के गर्भ में छिपा है।पर इस समय जो विद्वान लोग नरेन्‍द्र मोदी की केवल नकारात्‍मक छवि को देख रहे हैं,तो वह सिक्‍के के केवल एक पहलू को देखकर अपनी राय दे रहे हैं।यदि हम तुलनात्‍मक अध्‍ययन करेगें तो निश्चित रूप से विकास के कार्यों का पलड़ा भारी होगा जो कि इस समय देश की प्राथमिक जरूरत भी है।आज नरेन्‍द्र मोदी की तरह सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखने वाले मुख्‍यमंत्री की आवश्‍यकता देश के हर राज्‍य को है।ताकि सम्‍पूर्ण देश का विकास में गति लाई जा सके।और सारा देश एक समान रूप के विकास की ओर कदम बढ़ा सके।

15 टिप्‍पणियां:

गौरव सोलंकी ने कहा…

दीप्ति जी,
मैं कभी गुजरात जाकर विकास कार्य नहीं देख पाया, इस वज़ह से उस बारे में मैं टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन जो गोधरा के बाद रक्तपात हुआ और जिसे वहाँ की सरकार और पुलिस ने सक्षम होने के बावज़ूद भी जारी रहने दिया, वह मैंने टी.वी. और अख़बारों में बहुत देखा है। यदि पानी, बिजली और अन्य विकास-कार्य एक समुदाय विशेष का खून बहाकर, सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आगजनी, लूटपाट और बलात्कार करके किए जाते हैं, तो मैं नहीं मानता कि वह प्रशंसनीय है।
यदि एक भी परिवार के साथ अन्याय होता है तो बाकी हज़ार विकास कार्यों का कोई महत्व नहीं रह जाता। उस दर्द को वही जान सकते हैं, जिनके साथ बीती हो। वैसे भी हम और आप तो बस विश्लेषण कर सकते हैं।

Kavi Kulwant ने कहा…

आप अच्छ लिख रही हैं प्रयास जरी रखें.. भगवान आपको तरक्की दे..
आप के ब्लाग पर एक बात कि एक छोटे शहर की लड़की.. बहुत लोग बोलते हैं.. मै तो छोटे शहर से हूँ यह छॊट बड़ा क्य होता है.. मै समझने में असमर्थ हूँ..्साथ लगी तस्वीर आप की ही है..सुंदर है..

Ashish Maharishi ने कहा…

njदीप्ति जी,
एक पत्रकार होने के नाते मैं बस इतना ही कह सकता हूँ कि हमने देखा है कि मोदी ने कैसे उस नरसंहार को जारी रहने दिया. मैंने उन दंगों में दस महीने बिताएं हैं. आज भी याद करता हूँ तो एक सिहरन सी आ जाती हैं. और जहाँ तक विकास की बात है तो आंकडे क्या होते हैं और उससे कैसे खेला जाता है वो मोदी और लालू अच्छी तरह जानते हैं.

http://bolhalla.blogspot.com

संजीव कुमार सिन्‍हा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन लेख। गुजरात के वरिष्ठ लेखक एवं चिन्तक श्री गुणवंत शाह, जो भाजपा के आलोचक रहे हैं, कहते हैं, 'गुजरात भाग्यशाली है कि उसे एक ऐसा युवा नेता मिला है, जिसने सिर्फ 5 साल में 50 वर्ष के बराबर काम कर दिखाए हैं।' प्रसिध्द पत्रकार श्री भगवती कुमार शर्मा ने कहा, 'श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिभा प्रामाणिक नेता की है। उन्होंने बहुत कार्य किया है। उनके स्तर का आज कोई भी नेता नहीं हैं।' वडोदरा के एम.एस. विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर प्रियवदन पटेल ने एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था के लिए गुजरात चुनाव के संदर्भ में एक सर्वेक्षण किया है, जिसका निष्कर्ष है कि आज भी राज्य के पटेल मतदाता भाजपा के साथ मजबूती से जुड़े हैं। राज्य की 66 प्रतिशत जनता नरेन्द्र मोदी के कार्यों से खुश है।

श्री मोदी की ईमानदारी के संदर्भ में विरोधी भी कहते हैं कि उन पर उंगली नहीं उठाई जा सकती। अगर वे पुन: मुख्यमंत्री बनते हैं तो गुजरात विश्वभर में एक प्रतिस्पर्धी के रूप में उभरेगा। श्री नरेन्द्र मोदी की यह छवि सिर्फ कागज पर ही नहीं, धरातल पर भी दिखती है। लोग उनके कार्यों से उनके प्रशंसक बने हैं। भ्रष्टाचारियों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। यहां तक कि भ्रष्टाचार में डूबे अपनी पार्टी के लोगों को भी उन्होंने जेल में डलवाया। श्री मोदी 18-18 घंटे स्वयं काम करते हैं और सरकारी तंत्र को भी चुस्त-दुरुस्त रखते हैं। अपनी मेहनत एवं सूझबूझ से उन्होंने गुजरात को देश का अग्रणी राज्य बनाया है। रिजर्व बैंक की रपट के अनुसार हाल के वर्षों में गुजरात में सबसे अधिक पूंजीनिवेश हुआ है। राजीव गांधी फाउण्डेशन (जिसकी रपट पर कांग्रेस में खूब खलबली मची थी) ने भी गुजरात को औद्योगिक दृष्टि से सबसे अधिक अनुकूल राज्य कहा है। विश्वविख्यात उद्योगपति रतन टाटा ने तो यहां तक कहा है कि जो गुजरात में पूंजीनिवेश नहीं करता है, वह नासमझ है। केवल औद्योगिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी स्थिति बदली है। कृषि उत्पादन 9000 करोड़ रु. से बढ़कर 34,000 करोड़ रु. तक पहुंच गया है। दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े शहरों में भी बिजली की किल्लत है, किन्तु गुजरात देश का ऐसा पहला राज्य है जहां गांवों में भी 24 घंटे बिजली रहती है। 'ज्योति ग्राम योजना' के माध्यम से गांव-गांव में बिजली पहुंची है। आपराधिक घटनाओं में 26 प्रतिशत की कमी आई है।

श्री मोदी ने मछुआरों के लिए 11 हजार करोड़ रु. एवं वनवासियों के लिए 15 हजार करोड़ रु. की दो योजनाएं शुरू कीं, जिनसे इन वर्गों में खुशहाली आई है। उन्होंने सरकारी योजनाओं को क्रियान्वित कराने में जनता की सहभागिता को प्राथमिकता दी है।

संजय बेंगाणी ने कहा…

गुजरात की आलोचना वे लोग ज्यादा करते है जो गुजरात से सम्बन्ध नहीं रखते. वे मीडिया की आँखों से देखते है.

मैने गुजरात को भुकम्प से तबाह होते देखा है, सुखे से अकाल की चपेट में आते देखा है और फिर विकास के किर्तिमान बनाते देखा है.

आपने सही लिखा है और अब आप छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी व साम्यवादी पत्रकारों के निशाने पर है. बधाई.

बेनामी ने कहा…

गौरव सोलंकी भाई, ये मीडिया वालो की विश्वसनीयता की कलई तो उमा खुराना वाले कांड ने उतार दी है। कौन इनकी बक बक पर भरोसा करता है?

आशीष भाई, किस जगह के दंगों में दस महीने बिताये थे? दस्स महीने चले दंगे? क्या कुछ ज्यादा ज्यादा ही नहीं छोड़ दी? अरे आप तो मीडिया वाले हो। कोई छोटी गप्प थोड़े ही बोलेगो! आपके लिये तो सब चलता है।

शाबाश दीप्ति

drdhabhai ने कहा…

हम सभी गोधरा के बाद के दंगों की बात करते हैं उस ट्रैन मे जलने वाते जिंदा लोगों की बात क्यों नहीं करते,नरेन्द्र मोदी को गालियां देने वालो लालु को कभी कुछ कहा जिसने नरसंहार को दुर्घटना साबित करने की असफल कोशिश की

आशुतोष कुमार ने कहा…

KISNE JALAYIN BASTIYAN
BAZAAR KYON LUTE
MAIN CHAAND PAR GAYAA THA
MUJHE KUCHH PATAA NAHIN!

Avanish Gautam ने कहा…

यह मजे की बात है कि रावण की लंका भी सोने की थी. यह दूसरी बात है कि मोदी राम की बात करते है.

बेनामी ने कहा…

गोधरा के बाद रक्तपात हुआ और जिसे वहाँ की सरकार और पुलिस ने सक्षम होने के बावज़ूद भी जारी रहने दिया, वह मैंने टी.वी. और अख़बारों में बहुत देखा है। आज भी याद करता हूँ तो एक सिहरन सी आ जाती हैं......
हम सभी गोधरा के बाद के दंगों की बात करते हैं उस ट्रैन मे जलने वाते जिंदा लोगों की बात क्यों नहीं करते.....

यह मजे की बात है कि रावण की लंका भी सोने की थी. यह दूसरी बात है कि मोदी राम की बात करते है......
और ओ भूल गए की प्रेम प्रकाश भी है जो कमेंट्स कर सकता है ....
मोदी साहब अब परधन मंत्री का खुआब देख रहे हैं ...आप ही बोलो ..जो की आडवानी जी और राजनाथ जी नहे देख सकते ..हाँ बाजपेयी जी ज़रुर ...पर ये आम आदमी क हित मई नहे होगा
देश की दुर्गति होगी ....

Unknown ने कहा…

गोधरा के बाद रक्तपात हुआ और जिसे वहाँ की सरकार और पुलिस ने सक्षम होने के बावज़ूद भी जारी रहने दिया, वह मैंने टी.वी. और अख़बारों में बहुत देखा है। आज भी याद करता हूँ तो एक सिहरन सी आ जाती हैं......
हम सभी गोधरा के बाद के दंगों की बात करते हैं उस ट्रैन मे जलने वाते जिंदा लोगों की बात क्यों नहीं करते.....

यह मजे की बात है ओ भूल गए की प्रेम प्रकाश भी है जो कमेंट्स कर सकता है ....
मोदी साहब अब परधन मंत्री का खुआब देख रहे हैं ...आप ही बोलो ..जो की आडवानी जी और राजनाथ जी नहे देख सकते ..हाँ बाजपेयी जी ज़रुर ...पर ये आम आदमी क हित मई नहे होगा
देश की दुर्गति होगी ....

गौरव सोलंकी ने कहा…

दिवाकर भाई,
बात मीडिया की विश्वसनीयता की नहीं है। मैं मानता हूँ कि पब्लिसिटी के लिए मीडिया बहुत झूठ बोलता है मगर वे तस्वीरें जो हम सबने देखीं, फोटोशॉप का कमाल तो नहीं लग रही थीं।
आशीष जी ने तो उन दिनों को अपनी आँखों से देखा है और उस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी मोदी जी को खरी खोटी सुना चुका है। अब या तो यह भी मानें कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी पैसे खाए...
अभी हम सी.एन.एन. में करण थापर के सामने मोदी जी की सहिष्णुता देख ही चुके हैं जब वे गोधरा की बात आते ही चार मिनट में उठ कर चले गए।
मेरी सहानुभुति गोधरा में मरे लोगों से भी है पर उन्हें मारने वाले रक्षक नहीं थे, सिर्फ भक्षक थे।
शेष फिर...

Unknown ने कहा…

कल आपने देखा होगा आज तक न्यूज़ मैं क्या था !
मुझसे तो नही देखा गया ...
ऑपरेशन कलंक ..
अब तो भूल जाओ मोदी को .. वह ३ दिन ..
वो पेग्नेंत महिला

Rajeev (राजीव) ने कहा…

दीप्ति जी, मैं स्वयं तो कभी गुजरात नहीँ गया परंतु आँकड़े अवश्य देखे हैं जिनमें तो गुजरात का ही नाम चमकता है। वहीँ के निवासियों से भी बात चीत की है, जो कभी उत्तर प्रदेश के निवासी रहे थे। इन सभी से जो मालूम हुआ है उससे तो मैं आप ही की बात का समर्थन करता हूँ - हाँ एक बात और भी जोड़ना चाहूँगा वह यह कि इस विकास में शासन / प्रशासन की भूमिका तो महत्वपूर्ण होती ही है, पर मूल रूप से वहाँ के निवासियों, उद्यमियों, कर्मचारियों और व्यापारियों की भूमिका और उनके सहयोग को न केवल मानना चाहिये, अपितु उन्हें भी विकास के प्रमुख अवयवों में गिना जाना चाहिये। शासन तो उत्प्रेरक हो सकता है।

Unknown ने कहा…

दीप्ति जी आपका लेख पढ़ा, छमा करें लेकिन आपने जितनी तारीफ के पुल नरेन्द्र मोदी के लिए बाधें हैं, ये तो उनका कोई करीबी ही कर सकता है...
खैर आपने गुजरात के बारे में काफी पढ़ा है...आपने गुजरात दंगे में मोदी के कथित भागीदारी को भी बड़ी सफ़ाई से खारिज कर दिया...
जहाँ तक गुजरात में विकाश की आधी की बात है तो मोहतरमा यह जान लें की गुजरात में इंजीनियरिंग कॉलेज की संख्या ४३ है वहीं कर्णाटक में १२८ और तमिलनाडु में २६८ इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, इसी तरह गुजरात में मेडिकल कॉलेज की संख्या ४१ है, जबकि कर्णाटक में १७२, महाराष्ट्र में ११६ और तमिलनाडु में ९७ मेडिकल कॉलेज हैं..
शायद आप यह महसूस नहीं कर सकती की किसी अपने को खोने का क्या दर्द होता है...कभी उनके बारे में सोचिये जिसकी माँ बहन के साथ बलात्कार करके मार डाला गया...उनका गुनाह बस इतना ही था की वह मुस्लमान थे...भारत के संविधान ने किसी को ये अधिकार नहीं दिया है की वह किसी व्यक्ति को राज्य छोड़ने को मजबूर करे...वैसे भी भाई नरेन्द्र मोदी गुजरात के पहचान नहीं हैं....