शुक्रवार, 23 मई 2008

खुल चुके हैं आतंकवाद के स्‍कूल- नयी फसल की पौध को सींचने की तैयारी

आज तक आपने मेडिकल, इंजीनियरिंग ,फैशन डियाजनिंग के स्‍कूल तो जरूर देखे और सुने होगें ,पर अब पाकिस्‍तान मे एक नया स्‍कूल खुल चुका है- जहां आतंक और तबाही मचाने की की शिक्षा दी जाती है। इस स्‍कूल मे बचपन को बारूद के ढ़ेर पर बिठाने की तैयारी की जाती है।
खबर है कि अलकायदा से जुडे आतंकवादियों ने पाकिस्‍तान के पास एक हिंसाग्रस्‍त इलाके में एक सरकारी स्‍कूल को स्‍यूसाइड बांबरों की एक एकडमी में तब्‍दील कर दिया है।

इस इलाके में तालिबान कंमाडर बैतुल्‍लाह मसूद का राज चलता है। और यह स्‍कूल एक फैक्‍ट्री की तरह था, जहां बच्‍चों को आत्‍मघाती हमलों के लिये तैयार किया जाता था। जांचकर्ताओं को ऐसे फुटेज मिले हैं जिसमें नकाब पहने एक टीचर नजर आ रहा है, और सामने माथे पर कुरान की आयतें लिखे पट्टे बांधे बच्‍चे बैठे हैं। यहां करीबन 50 बच्‍चे ऐसे पकड़े ,जिन्‍हे आत्‍मघाती हमलो के लिये तैयार किया जा रहा था। इनमें से कुछ बच्‍चे ऐसे थे जिन्‍हे यहां अगवा कर के लाया गया था।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि अभी कुछ रोज पहले ही पाकिस्‍तान ने भारत के साथ मिलकर आतंकवाद को खत्‍म करने पर सहमति प्रकट की है। परन्‍तु वहीं दूसरी ओर वहां इस तरह के ट्रेंनिग कैम्‍प के चलने की जानकारी मिलती है। तो इसका क्‍या अर्थ लगाया जाऐ। इस तरह के वादे और सहमतियां आंतकवाद को रोकने के लिऐ नाकाफी हैं। इसलिये पाकिस्‍तान को चाहिये कि वह सबसे पहले अपने देश में इस तरह के संगठनों पर लगाम कसे। और अगर वह इस कार्य में सफल होता है तो आतंकवाद की आधी समस्‍या तो स्‍वंय ही समाप्‍त हो जाऐगी।

गुरुवार, 22 मई 2008

नया कानून- माफी दो, माफी लो……………. सरबजीत दो, अफजल लो।

गृहमंत्री शिवराज पाटिल का यह बयान चौंकाने वाला है कि अगर हम पाकिस्‍तान से सरबजीत के लिये माफी की मांग करते हैं तो भारत में अफजल गुरू के लिये कैसे फांसी सजा तय कर सकते हैं?
ये दोनो ही मामले बिल्‍कुल अलग-अलग हैं, जिनकी तुलना करके गृहमंत्री स्‍वयं एक नये विवाद को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा बयान देकर वह राष्‍ट्र विरोधी तत्‍वों तक एक गलत संदेश पंहुचा रहे हैं।
ऐसा बयान देकर गृ‍हमंत्री कानून की अ‍‍हमियत को भी कम कर रहे हैं। अगर हम आपस में ही एक दूसरे के लिये सजा और माफी तय कर लेगें तो देश में संविधान और कानून बनाने की आवश्‍यकता ही क्‍या है? और किसी भी जुर्मों की आपस में तुलना करना बिल्‍कुल गलत है क्‍योकिं हर देश के नियम कायदे और कानून अलग होते हैं। शिवराज पाटिल का यह बयान सुनकर मुझे वह घटना याद आ गयी जब आंतकवादियों ने हमारा पूरा हवाईजहाज हाईजैक कर लिया था और बदले मे हिन्‍दुस्‍तान की जेल मे बंद अपने साथियों की रिहाई की मांग की थी। आज भी स्थिति कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही है कि अगर तुम हमें माफी दोगे तो ही हम तुम्‍हें माफ करेगें। जरा सोचिये कि भारत की न्‍याय पालिका ने अगर अफजल को माफ कर दिया तो भारतीय संसद जो कि एक मंदिर की तरह है, की प्रतिष्‍ठा को कितनी ठेस पहुंचेगी। और साथ ही आतंकवादियों के हौसले और भी बुलंद हो जाऐगें। अगली बार वह हिन्‍दुस्‍तान के खिलाफ अपनी योजना बनाते समय एक बार भी नहीं सोचेगें। क्‍योंकि उनके लिये एक सरबजीत फिर से मिल जायेगा। अगर यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत और पाकिस्‍तान में आपस मे माफी के बदले माफी और सजा के बदले का नया कानून लागू हो जाऐगा।